20081228

हिमाचल देता है नए साल की दावत

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग ने नव वर्ष के अवसर पर राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए कई आकर्षक प्रस्ताव पेश किए हैं। नव वर्ष के मौके पर ‘ऑर्केस्ट्रा’ और ‘डीजे’ के साथ हिंदी और पंजाबी के गायकों के कार्यक्रम के साथ ही अन्य समारोहों का आयोजन पर्यटन विभाग की सचिव मनीषा नंदा ने कहा कि शिमला, मनाली, चहल, डलहौजी स्थित हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के नौ होटल और धर्मशाला पर्यटक आवास गृह, त्योहार के इस मौसम में कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।नंदा ने बताया कि नव वर्ष के समारोह में केवल जोड़ों को भाग लेने की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि निगम के होटलों में अभी तक नव वर्ष के लिए करीब 80 फीसदी कमरे आरक्षित हो चुके हैं। निगम के होटलों में आरक्षण इंटरनेट या निगम के मार्केटिंग कार्यालय के माध्यम से कराया जा सकता है।

20081222

हवेली कानूनगो

राजस्थान की मिट्टी जहाँ एक और अपने पराकर्म और सीधेपन की सोंधी महक के कारन ख्यात है, वहीं अपनी स्थापत्य शिल्प कौशल की वजह से देश- विदेश में अपनी पहचान बनाये हुए है। राजस्थान के रहवासियों के ह्रदय में मानो प्रेम और कला की देवी का स्थाई वास है। यहाँ की हवेलियों , दुर्गो, किलों और मंदिरों की दीवारों पर उकेरे गए चटकदार रंगों से बने भित्ती चित्र उनकी इसी कलाप्रियता और प्रेम को दर्शाते हैं।
वैसे तो राजस्थान हर हिस्सा अपनी कला को लेकर उपस्थिति दर्ज करवाता है। लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में फैला कला का अपूर्व खजाना उसकी भव्यता की कहानी आप कहता है। राजस्थान के शेख्वती क्षेत्र का नम राव शेखजी के नाम पर पड़ा। अथार्त वह उद्यान जिसको राव शेख के वंशजों ने अपने बलिदान व शोर्य से महकाया था। इन लोगों ने सन १४३३ से लेकर १४५८ तक यहाँ पर राज्य किया था। इस अन्तराल में इन्होने कला और कलाकारों को संरक्षण और प्रोत्साहन दिया। लेकिन यहाँ की कला समर्धि का स्वर्णकाल १७५० से १९३० के मध्य की दो शताब्दियों को मन जाता हे। इस कल में राजे- महाराजाओं के अलावा धनी लोगों ने भी अपने कलाप्रेम को निर्माण कार्यों के द्वारा चिर स्थाई बनाने का प्रयास किया। इसी समय में अनेकों मंदिरों, हवेलियों के अलावा कलात्मक कुंवों और बावरियों का भी निर्माण किया गा जो आज भी स्थापत्य कला की दुनिया में बेजोड़ माने जाते है।
हवेली कानूनगो शेखावाटी की विराट एवं अनोखी हवेलियीं की श्रंखला में अग्रणीय है। यह हवेली खाती श्यामजी के नम से विख्यात क्षेत्र में स्थित है। खाटू के सेठजी साधुराम सुरज्बक्ष द्वारा बने गई है। यह हवेली अपनी विशाल भव्यता के अलावा सेकडों खिड़कियों के कारन भी देखने वालों को सहज ही अपनी और आकर्षित करती है।
लगभग २५००० फुट में फैली इस हवेली के निर्माण में तीन वर्ष छ माह का समय लगा और इस कार्य में ३५००० रुपये खर्च हुए। इसका निर्माण १९२८ से १९३१ के बीच हुआ। इस निर्माण में यहाँ के कारीगर नानगराम ने अपने पुत्र सूरजमल के साथ मिलकर निर्माण कार्य किया। हवेली के बीच चौक में विष्णु आयुध धारण किए हुए है तथा विजयलक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है।

20081221

गाइड आन साईकिल विथ बैग

साइकिल पर विदेशी टूरिस्टों को चंडीगढ़ घुमाने का शौक अब तेहत्तर वर्षीय नरेद्र सिंह इटरनेशनल की देशभक्ति का सबूत बन चुका है। गाइड नरेन्द्र , अब तक सौ से ज्यादा विदेशी टूरिस्टों जिनमें ज्यादातर युवतिया और महिलाएं शामिल है को लूट-खसूट,छेड़खानी और बुरे बर्ताव से बचा चुके है। नरेन्द्र कहते है -बाहर से आए लोगों को सही रास्ता दिखाना देशभक्ति से कम नहीं है। मेरा काम यही है कि विदेशी, भारत के बारे में अच्छी इमेज बनाएं।
वाकई,लूट खसूट करने वाले टिपीकल बिजनेस बेस्ट हिदुस्तानी गाइड की इमेज में फिट नहीं बैठने वाले नरेन्द्र सिंह अपने इस मिशन को 1959 से तहे-दिल और भरसक कोशिशों से जिंदा रखे हुए हैं।
वे विदेशी टूरिस्टों को ठिकाने के लिए सबसे सस्ती धर्मशालाओं,पंचायत भवन, मंदिर और गुरुद्वारों में ले जाते है ताकि वे बाजार की गैर जरूरी लूट से बच सकें। नरेन्द्र वह किस्सा नहीं भूलते जब एक रात उन्होंने इंटर स्टेट बस टर्मिनल के नजदीक इटली की एक टूरिस्ट को बचाया था। वे कहते है कि उसे रिक्शा वालों से बचाने का वाकिया मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि हमलावरों के पास चाकू भी था। इटालियन युवती ब्राडनी बरनाडिनी को बचाने पर पंजाब सरकार ने सिंह को सर्टीफिकेट भी दिया।
पंजाब के चीफ मिनीस्टर प्रताप सिंह कैरों के स्टाफ में काम करते हुए 1959 में नरेन्द्र एक विदेशी टूरिस्ट पीस कार्वोलेंटियर को यूं ही शहर घुमाने निकल पड़े थे और यहीं से ये शुरूआत हो गई।
पंजाब सरकार में अपर सचिव पद से रिटायर हुए सिंह के परिवार में उनकी पत्‍‌नी सुरजीत कौर व शादीशुदा बेटा-बहू है। विदेशी टूरिस्टों के लिए सेवा-भाव से घर वालों को पहले पहल काफी दिक्कतें हुई लेकिन अब यह सब जिंदगी का हिस्सा हो चुके है। अब तक एक लाख विदेशी टूरिस्टों को सिटीब्युटीफुल की सैर करा चुके नरेन्द्र यह बताना नहीं भूलते कि मैं 1972 में जिस ब्रिटिश महिला का मैं गाइड था वह मार्गेट थैचर थीं, जो बाद में लगातार तीन बार ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनीं।

हर एक से मिलने वाले नरेन्द्र सिंह इटरनेशनल हर समय काधे पर या साइकिल पर थैला लटकाए रहते हैं, इसमें टूरिस्ट गाइड बुक और उनकी यादों को हर पल तरोताजा रखने वाली डायरी रहती है। इस डायरी में सैकड़ों विजिटिग कार्ड है जिनके पीछे विदेशी पर्यटक भारतीयों के प्रति शुक्रिया लिख गए हैं। पेंशन पर गुजर बसर कर रहे सिंह की - द टूरिस्ट फ्रेंड वेलकम- के बतौर की पहल अब किसी मिशन से कम नहीं है, वे टूरिस्टों से भी कोई चार्जेस नहीं लेते। उनके पास इग्लैंड, अमेरिका, पेरिस, जर्मनी और आस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली के सैकड़ों पते और पत्र हैं।
सिंह का कहना है कि हर विदेशी पर्यटक अमीर नहीं होता है इनमें विदेशी ग्रामीण अंचल से भी बड़ी तादाद में पर्यटक आते हैं उन्हे उनकी जेब के मुताबिक ठिकाने और खाने की राह बताई जाए यह हम सब का फर्ज है। क्योंकि वे हमारे देश में मेहमान है, आपराधिक तत्वों से उनकी हिफाजत करना हर भारतीय का दायित्व है।

20081212

सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी

शेखावटी की हवेलियों को दुनिया की सबसे बडी ओपन आर्ट-गैलरी की भी संज्ञा दी जाती है। इन हवेलियों पर बने चित्र शेखावटी इलाके की लोक रीतियों, त्योहारों, देवी-देवताओं और मांगलिक संस्कारों से परिचय कराते हैं। ये इस इलाके के धनाड्य व्यक्तियों की कलात्मक रुचि की भी गवाही देते हैं। यूं तो इस इलाके में चित्रकारी की परंपरा छतरियों, दीवारों, मंदिरों, बावडियों और किलों-बुर्जो पर जहां-तहां बिखरी है। लेकिन धनकुबेरों की हवेलियां इस कला की खास संरक्षक बनकर रहीं। अ‌र्द्ध-रेगिस्तानी शेखावटी इलाका राव शेखाजी (1433-1488 ईस्वी) के नाम पर अस्तित्व में आया। व्यवसायी मारवाडी समुदाय का गढ यह इलाका कुबेरों की धरती, लडाकों की धरती, उद्यमियों की धरती, कलाकारों की धरती आदि कई नाम से जाना जाता है। अब यह इलाका अपनी हवेलियों और ऑर्गेनिक फार्मिग के लिए चर्चा में है।

शुरुआती दौर की पेंटिंग गीले प्लास्टर पर इटालियन शैली में चित्रित किए गए हैं, जिस शैली को फ्रेस्को बुआनो कहते हैं। इसमें चूना पलस्तर के सूखने की प्रक्रिया में ही रंगाई का सारा काम हो जाता था। वही इसकी दीर्घजीविता की भी वजह हुआ करती थी। कहा जाता है कि यह शैली मुगल दरबार से होती हुई पहले जयपुर और फिर वहां से शेखावटी तक पहुंची। मुगलकाल में यह कला यूरोपीय मिशनरियों के साथ भारत पहुंची थी। शुरुआती दौर के चित्रों में प्राकृतिक, वनस्पति व मिट्टी के रंगों का इस्तेमाल किया गया था। बाद के सालों में रसायन का इस्तेमाल शुरू हुआ और यह चित्रकारी गीले के बजाय सूखे पलस्तर पर रसायनों से की जाने लगी।

जानकार इस कला के विकास को यहां के वैश्यों की कारोबारी तरक्की से भी जोडते हैं। हालांकि अब आप इस इलाके में जाएं तो वह संपन्नता भले ही बिखरी नजर न आए लेकिन कुछ हवेलियों में चित्रकारी बेशक सलामत नजर आ जाती है। चित्रकारी की परंपरा यहां कब से रही, इसका ठीक-ठीक इतिहास तो नहीं मिलता। अभी जो हवेलियां बची हैं, उनकी चित्रकारी 19वीं सदी के आखिरी सालों की बताई जाती हैं। यकीनन उससे पहले के दौर में भी यह परंपरा रही होगी लेकिन रख-रखाव न होने के कारण कालांतर में वे हवेलियां गिरती रहीं। लेकिन हवेलियों में चित्र बनाने की परंपरा इस कदर कायम रही कि वर्ष 1947 से पहले बनी ज्यादातर हवेलियों में यह छटा बिखरी मिल जाती है।

20081208

मनाली में मनाएं हनीमून

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने नव दंपत्तियों को आगामी 20 दिसंबर 2008 तक के लिए आकर्षक हनीमून पैकेज का आफर किया है। हनीमून पैकेज के अंतर्गत राज्य के लोकप्रिय पर्यटक स्थल मनाली के कुंजम और रोहतांग मनालसू होटलों में ठहरने वाले नवविवाहितों को तीन रात और चार दिन के लिए 9400 रुपये की बजाय 4700 रुपये में इन सरकारी होटलों में ठहराया जाएगा। पैकेज के तहत जोडों को मोडिफाईड अमेरिकन प्लान के अंतर्गत सुविधाएं दी जाएंगी। नवविवाहितों को वेलकम ड्रिंक, बेड टी, नाश्ता और लंच या डिनर (शाकाहारी भोजन) मुफ्त उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके अलावा नवदंपतियों को लग्जरी बसों में मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्नो प्वाइंट (आम तौर पर रोहतांग दर्रा) तक भ्रमण करवाया जाएगा और मनाली के प्रतिष्ठित क्लब हाउस के डिस्कोथिक में मुफ्त प्रवेश दिया जाएगा। हनीमून पैकेज का आरक्षण देश भर में राज्य पर्यटन निगम के सभी कार्यालयों से या फिर इंटरनेट के जरिये किया जा सकता है।
इसके अलावा हिमाचल पर्यटन विकास निगम सर्दियों में यानी 15 नवंबर से 14 अप्रैल तक अपनी ज्यादातर होटलों में सैलानियों को 20 से 30 फीसदी की छूट किरायों में दे रहा है। हालांकि इनमें से कुछ में यह छूट क्रिसमस व नए साल पर यानी 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नहीं मिलेगी।