20161119

कला मेला 2016 उदयपुर, Udaipur Lake Festival

समीक्षा: उदयपुर में कामयाब कला मेला

वरदान साबित हुआ कला मेला कमेटी का नहीं बनना 
बरसों बाद जयपुर के बाहर हुए राजस्थान ललित कला अकादमी के 19वें कला मेले ने कई पुराने ऐसे मिथक तोड़े जिन्हें स्थाई माना जाता था तो कई नए आयाम भी जोड़े। जयपुर के कलाजगत का एक गुट इस कला मेले से दूर रहा। पहली बार कला मेला कमेटी नहीं बनी और कला मेला कमेटी का नहीं बनना मेले के लिए वरदान साबित हुआ। उदयपुर के वरिष्ठ व युवा कलाकारों ने मिलकर कला मेले की कमान कामयाबी से संभाली। 
स्टाल आबंटन के लिए गठित समिति का कोई सदस्य उदयपुर में नजर नहीं आया। उदयपुर के स्थानीय कलाकारों ने आवंटन पूरी पारदर्शिता के साथ लॉटरी सिस्टम द्वारा किया। याद दिलवा दें कि मार्च 2015 में 18वें कला मेले में उत्पन्न अव्यवस्थाओं और कमेटी द्वारा आवंटन प्रक्रिया से कलाकारों के असंतोष की जानकारी मिलने के बाद मूमल ने अकादमी को लाटरी द्वारा आवंटन करवाए जाने का सुझाव दिया था और इस सुझाव को प्रकाशित भी किया था। 
कला मेले में जिला प्रशासन द्वारा जो टेंट की वयवस्था की गई थी, काफी अच्छी थी। स्टॉल्स के आगे खुली जगह अधिक छोड़ी गई थी जिससे दर्शकों को कृतिया देखने व कलाकारों को प्रदर्शन में सहूलत मिली। कला मेला प्रांगण में प्रवेश के लिए राजीव गांधी उद्यान के ठेकेदार द्वारा वसूले गए शुल्क के बावजूद कला मेले में दर्शकों की संख्या संतोषप्रद रहने के बाद अकादमी के समक्ष आगामी कला मेला व्यवस्था के लिए एक नया विचार जन्म लेने लगा है।
किसी कला मेला समिति का दखल न होने के कारण अकादमी के अधिकारियों और कर्मचारियों को काम करने की पूरी स्वतंत्रता मिली। ऐसे में प्रदर्शनी अधिकारी से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक अकादमी का पूरा अमला कला मेला व्यवस्था में मेला शुरू होने के चार दिन पहले से समापन तक पूरी मेहनत से जुटा रहा। उदयपुर के उन बड़े दिल वाले कलाकारों की भी प्रशंसा करनी होगी जो बिना किसी लाभ, नाम या पद की लालसा के मेले को सफल बनाने में जुटे रहे। यही कारण रहा कि उदयपुर का कला मेला बिना किसी झंझट के सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।
कुछ मौका परस्त लोग सभी जगह होते हैं, वे यहां भी सक्रीय रहे। उन्होंने कला मेले मेें अन्य लोगों की मेहनत को अपने लिए खूब भुनाया। उद्घाटन के दिन जिला कलक्टर के साथ चिपके रहने से लेकर समापन वाले दिन महापौर के आगे-पीछे बने रह कर यह जताने में जुटे रहे कि यह आयोजन उन्हीं के नेतृत्व का प्रताप है। इसका उन्हें तत्काल लाभ भी मिला, जिला प्रशासन, आगामी दिसम्बर में पर्यटन विभाग की ओर कुम्भलगढ़ में होने वाले नेशनल आर्ट कैंप का कारोबार इन्हीं के हाथ में सौंप सकता है। उल्लेखनीय है यह पर्यटन विभाग इस कैंप के लिए एक मोटी रकम खर्च करने वाला है।
उदयपुर के कलाकारों की स्टाल्स में प्रतिभागिता अधिक होने के कारण पुरस्कार भी उदयपुर के नाम अधिक रहे। कला शिविर में जहां अकादमी द्वारा एक ही कलाकार को पुन:-पुन: बुलाए जाने का रोष रहा वहीं एक कलाकार द्वारा अपनी कृति को कैंप से घर ले जाकर पूरा करने की हैरानी भी। लाइव डेमो देने आए युवा कलाकारों के मानदेय (2 हजार 500 रुपए)व कला शिविर में बुलाए गए कलाकारों के मानदेय (50 हजार रुपए) का भारी अन्तर चर्चा का विषय रहा। कृतियों की बिक्री का आंकड़ा शून्य रहा,  संभवत सरकार का नोटबंदी फैसला व मेले के स्थानीय स्तर पर प्रचार प्रसार में कमी इसके कारण रहे। 
अकादमी व जिला प्रशासन के तालमेल की कमी के चलते जिला प्रशासन द्वारा लेक फेस्टिवल की तारीखों को ही कला मेला तारीखों के रूप में प्रचारित किया गया। प्रेस को कला मेले की जानकारी के अभाव के चलते प्रेस की सुर्खियों से मेला लापता रहा। एक पूरा आयोजन समाचारों में लेक फेस्टिवल की खबरों के बीच कुछ पंक्तियों में सिमट कर रह गया।  जिला प्रशासन ने भी कला मेला व्यवस्थाओं में दिल खोल कर खर्च किया। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात, लम्बे समय से किसी प्रमुख जनप्रतिनिधि के हाथों लोकार्पण के लिए प्रतीक्षारत प्रदर्शनी  वाहन का मेले में गुपचुप लोकार्पित हो जाना रहा।
पूरे परिदृश्य पर नजर डालें तो एक-आध चीजों को छोडक़र मेला सफल रहा। मेले की सफलता राजस्थान के अन्य शहरों में मेला आयोजन की धारणा को बल देगी। उल्लेखनीय है कि कला मेला इतिहास में यह दूसरा अवसर है जब कला मेला जयपुर के बाहर आयोजित किया गया है। इससे पूर्व 1992 में चौथा कला मेला उदयपुर में ही आयोजित किया गया था।
मूर्तिकारों का कम प्रतिनिधित्व
उदयपुर को शिल्प नगरी के नाम से जाना जाता है। राजस्थान में यह पहला शहर है जहां पर मूर्तिकारों के भव्य स्टूडियोज व गैलेरीज हैं। बावजूद इसके कला मेले में मूर्तिकारों का अभाव रहा। कुल जमा दो कलाकारों ने ही मेले में मूर्तिशिल्प का प्रदर्शन किया। उसमें से भी एक कलाकार को पेंटिंग के क्षेत्र में जाना जाता है। मेले से वरिष्ठ मूर्तिकार चौधरी ने भी दूरी बनाए रखी, जो जयपुर के कला मेले में अपनी स्टॉल के साथ नजर आ चुके हैं।
आवंटन कमेटी नदारद
जयपुर में कलाकारों से प्राप्त आवेदनो पर निर्णय लेने के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसका एक भी सदस्य कला मेले में नजर नहीं आया। अकादमी अधिकारियों का कहना है कि उनका उदयपुर में कोई काम नहीं था अत: हमने उन्हें निमन्त्रण नहीं दिया, हां वो अपने स्तर पर मेले में आ सकते थे।
उल्लेखनीय है कि अन्य वर्षों की तरह इस वर्ष भी कला मेला कमेटी का गठन किया गया था। कला मेला क्योंकि उदयपुर में लेक फेस्टिवल के अवसर पर जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित होना था इसलिए उदयपुर जिला प्रशासन द्वारा यह एतराज उठाया गया कि व्यवस्थाओं की सारी जिम्मेदारी हमारी है तो कला मेला कमेटी का क्या औचित्य है। तब तत्कालीन अकादमी चैयरपर्सन रौली सिंह ने बात को संभालते हुए कला मेला कमेटी को स्टॉल आवंटन कमेटी का नाम दे दिया। कमेटी की जयपुर में एक बार ही मीटिंग हुई और प्राप्त हुए 62 आवेदनों में से 58 पर स्वीकृति की मोहर लगा कर जिम्मेदारी पूरी की गई। उदयपुर में मेला आरम्भ होने पर आवंटन कमेटी की अनुपस्थिति में स्थानीय कलाकारों ने कमान संभाली और पूरी पारदर्शिता के साथ लॉटरी सिस्टम के जरिए कलाकारों को स्टाल का आवंटन तो किया। उसी समय कला मेले में भाग लेने के इच्छुक अन्य कलाकारों की कृतियों पर फैसला करते हुए उन्हें तत्काल स्टॉल आवंटित कर एक मिसाल कायम की। यह भी सिद्ध कर दिया कि कला मेले को सफलता पूर्वक सम्पन्न होने के लिए किसी कमेटी की नहीं अपितु समर्पित सेवाभावी कलाकारों की आवश्यक्ता है।
अकादमी व जिला प्रशासन का तालमेल नहीें
अकादमी व जिला प्रशासन के तालमेल की कमी कला मेले को वहन करनी पड़ी। अकादमी द्वारा छपवाए गए निमन्त्रण पत्र नहीं बांटे गए। जिला प्रशासन को जब अकादमी से आमन्त्रण पत्र प्राप्त नहीं हुए तो उन्होने अपने स्तर पर आमन्त्रण छपवाए लेकिन तब तक कला मेले का उद्घाटन हो चुका था और कई लोगों तक निमन्त्रण पहुंच ही नहीं पाए। उद्घाटन अवसर पर मेहमानों की कमी, कला मेले में पर्याप्त दर्शकों की कमी इस तालमेल के नहीं होने का ही परिणाम थी। तालमेल की कमी का सबसे बड़ा प्रमाण यह था कि कला मेले की अवधि 17 से 21 नवंबर थी जबकि प्रशासन ने होर्डिंग्स में 18 से 20 नवंबर ही प्रिंट करवाया था जो कि लेक फेस्टिवल की अवधि थी।
स्थानीय प्रेस को सूचना की अनुपलब्धता
अकादमी व जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय प्रेस को कला मेले के बारे में खास सूचनाएं या प्रेस नोट नहीं पहुंचवाए गए, ना ही कोई प्रेस कान्फ्रेंस ही रखी गई। परिणामस्वरूप कला मेला लेक फेस्टिवल के प्रोग्राम में कहीं खो गया। उद्घाटन पर दैनिक भास्कर में लेक फेस्टिवल की सूचना के साथ कुछ लाईनों का समाचार कला मेले का प्रकाशित हुआ। बाद मेें स्थानीय वरिष्ठ कलाकारों ने अपने संबंधों के चलते राजस्थान पत्रिका के रिर्पोटर को बुलवा कर कला शिविर से सम्बन्धित चर्चा कराई।
अकादमी का अमला जुटा
प्रशंसनीय बात यह रही कि कला मेले का आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न करने के लिए राजस्थान ललित कला अकादमी का पूरा अमला तीन-चार दिन पहले ही उदयपुर पहुंच गया। प्रदर्शनी अधिकारी  से लेकर फोर्थ क्लास कर्मचारियों ने भी मेला आयोजन के लिए जीतोड़ मेहनत की।
स्थानीय कलाकारों का प्रभावी सहयोग
कला मेला आयोजन कार्यों में उदयपुर के कलाकारों का सहयोग प्रभावी व सराहनीय रहा। स्टॉल आवंटन का महत्ती कार्य, उद्घाटन में सहयोग, मेले में कलाकृतियों से परिचय करवाने के लिए स्कूली बच्चों को लाने की जिम्मेदारी, लाइव डेमो के लिए कलाकारों की व्यवस्था, निमन्त्रण पत्रों की छपवाई और युवा छात्र कला प्रतियोगिता के लिए छात्रों को प्रेरित कर एकत्रित करने के साथ कई महत्वपूर्ण कार्यो में सहयोग की छाप छोड़ी।
कलाकृतियों की बिक्री
कला मेले में इस बार कलाकृतियों की बिक्री का आंकड़ा लगभग शून्य रहा। यदि  कोई एक-आध कृति बिकी भी होगी तो अकादमी तक इसकी सूचना नहीं पहुंच पाई।
‘पेग’ नदारद
जयपुर का प्रोगेसिव आर्टिस्ट ग्रुप इस कला मेले में बिल्कुल नजर नहीं आया। कला मेले के इतिहास में यह पहला अवसर है कि ‘पेग’ ने कला मेले में स्टॉल लेकर प्रतिभागिता नहीं निभाई।
मोहनलाल सुखडिय़ा विश्वविद्यालय का औचक प्रवेश
मोहनलाल सुखडिय़ा विश्वविद्यालय ने कला मेले में प्रतिभागिता के लिए पूर्व में रुचि नहीं लेते हुए स्टॉल आवंटन हेतु आवेदन नहीं किया गया था। विश्वविद्यालय ने उद्घाटन अवसर पर अचानक मेले में भाग लेने का निर्णय लिया और श्रेष्ठ इंस्टालेशन के रूप में कला अकादमी द्वारा दिए गए 10 पुरस्कारों में से एक हासिल किया।
आयोजन भुनाने वाले भी दिखे
कला मेले जैसे राजस्थान के प्रसिद्ध कला आयोजन और मेले में शामिल विशिष्ट लोगों  के सामीप्य को स्वहित में भुनाने वाले कुछ लोग भी वहां नजर आए। कला मेले के उद्धाटन व समापन के अवसर पर आए प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष खुद को प्रस्तुत करते हुए उन्हें देखा गया। जानकारों की माने तो इस मशक्कत का मुख्य कारण आने वाले दिनों में होने वाला कुम्भलगढ महोत्सव व उसके तहत आयोजित किए जाने वाले कला शिविर के संयोजन अधिकार को प्राप्त करना है।
लाइव डेमो में युवा प्रतिनिधित्व
मेले में मोलेला के युवा कलाकार दिनेश चन्द कुम्हार ने टेराकोटा कृतियों के निमार्ण की जानकारी देते हुए लाइव डेमो दिया वहीं उदयपुर के युवा आर्टिस्ट अनुराग मेहता ने अपने लाइव डेमो में वॉटर कलर का प्रयोग करते हुए कृति को जीवन्त कर दिया। दोनों कलाकारों ने तैयार कृतियां अकादमी को सौंप दीं। अकादमी द्वारा दोनो युवा कलाकारों को मानदेय के रूप में 2,500-2,500 रुपए की नकद राशि प्रदान की।
प्रदर्शनी वाहन का लोकार्पण
लंबे समय से प्रतीक्षारत प्रदर्शनी वाहन का लोकापर्ण इस कला मेले के उद्घाटन अवसर पर उदयपुर के जिला कलेक्टर द्वारा किया गया। अकादमी ने वाहन के लोकापर्ण की सूचना प्रेस को नहीं दी। ज्ञात रहे कि इस प्रदर्शनी वाहन का लोकार्पण मार्च 2015 में जयपुर में आयोजित हुए 18वें कला मेले में होना था जो वाहन के सही समय पर तैयार नहीं हो पाने के कारण नहीं हो पाया था। इस वाहन को तैयार करने में लगभग 21 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है।
कला शिविर में फेर-बदल
कला शिविर के लिए पूर्व में घोषित 10 कलाकारों की सूचि में तत्कालीन अकादमी चैयरपर्सन रौली सिंह ने ग्यारहवें कलाकार के रूप में राम जैसवाल का नाम जोड़ा। इन ग्यारह कलाकारों में से दो कलाकार वी. नागदास तथा किशोर शिंदे शिविर में शामिल नहीं हो पाए। अकादमी ने शिविर में शामिल प्रत्येक कलाकार को मानदेय के रूप में 50-50 हजार रुपए की राशि प्रदान की जबकि कलाकारों के उदयपुर तक आने-जाने, उनके आवास व भोजन व्यवस्था के साथ उदयपुर भ्रमण की जिम्मेदारी उदयपुर प्रशासन की रही।
लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड
इस वर्ष का लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड जयपुर के प्रोग्रसिव आर्टिस्ट ग्रुप के अध्यक्ष आर.बी. गौतम को दिया गया इस अवार्ड के लिए उनके नाम का प्रस्ताव पूर्व में लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड पाने वाले कलाकार राम जैसवाल और प्रो. सुरेश शर्मा ने रखा।
युवा छात्र कला प्रतियोगिता
ऑन द स्पॉट सम्पन्न हुई युवा छात्र कला प्रतियोगिता में कला मेले के युवा प्रतिभागियों के साथ शहर के महाविद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं ने भी बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। इसका प्रबंध स्थानीय कलाकार डा. मोहनलाल जाट के जिम्मे था।
पहली बार प्रवेश शुल्क
कला मेले के इतिहास में यह पहला अवसर था जब कला मेले के दर्शकों को प्रवेश शुलक चुकाना पड़ा।ज्ञात हो कि राजीव गांधी पार्क की सार-संभाल हेतु जिला प्रशासन द्वारा ठेके पर दिया गया है। ठेकेदार द्वारा पार्क प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति 5 रुपए शुल्क लिया जाता है जो कला मेले के दर्शकों से भी लिया गया। प्रतिभागी कलाकारों के लिए प्रवेश पास की व्यवस्था की गई। यदि सकारात्मक रूप से सोचें तो भविष्य में भी कला मेले का प्रवेश शुल्क रखा जा सकता है और प्राप्त आय को कला मेले की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए खर्च किया जा सकता है।

कला मेले में उत्कृष्ट कलाकारों को सम्मान

गौतम को लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड 
श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए 12 कलाकारों को पुरस्कार
छात्र कला प्रतियोगिता में 5 छात्र हुए पुरस्कृत
मूमल नेटवर्क, (22 November, 2016) उदयपुर। जिला प्रशासन के सहयोग से राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 17 से 21 नवंबर तक आयोजित 19वें कला मेले का समापन हुआ। समापन अवसर पर उत्कृष्ट कलाकारों को सम्मानित व पुरस्कृत किया गया। इस वर्ष के लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से आर.बी. गौतम को सम्मानित किया गया। सम्मान के रूप में उन्हें स्मृति चिंह, 31 हजार रुपए की नकद धनराशि, शॉल व श्रीफल प्रदान किए गए।
श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु पुरस्कार
कला मेले के प्रतिभागी कलाकारों में से श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए 12 कलाकारों को पुरस्कृत किया गया। इनमें से प्रति कला मेले की तरह इस बार भी 5-5,000 रुपए की राशि से 10 कलाकारों को अकादमी पुरस्कार की प्राप्ति हुई जबकि दो कलाकारों को वरिष्ठ कलाकारों द्वारा नकद राशि का पुरस्कार दिया गया।
अकादमी पुरस्कार से स्टॉल नं. 1 की यामिनी शर्मा को कावड़ कला के लिए, स्टॉल नं. 3 के दिलीप कुमार डामोर को एचिंग के लिए, स्टॉल नं. 16 के मोहन लाल जाट को इंस्टालेशन के लिए, स्टॉल नं. 40 के विजय वर्मा को पेंटिंग के लिए, स्टॉल नं. 51 के राहुल कुमार राजोरिया  तथा अंकित शर्मा को फोटोग्राफी के लिए, स्टॉल नं. 77 में प्रदर्शित इंस्टॉलेशन के लिए उदयपुर की मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी को,  स्टॉल नं. 29 के मयंक शर्मा को पेंटिंग के लिए, स्टॉल नं. 32 के रवीन्द्र दाहिमा को सेरीग्राफी के लिए तथा स्टॉल नं. 30 की की साक्षी किशोर को कैलीग्राफी के लिए पांच-पांच हजार रुपए की नकद राशि से पुरस्कृत किया गया। इसके साथ स्टॉल नं. 21 की निहारिका राठौड़ को पेंटिंग के लिए पी.एन. चोयल मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा 5000/ का पुरस्कार शैल चोयल ने व स्टॉल नं. 36 की डिम्पल चाण्डात को प्रिंट के लिए डॉ. सुशील निम्बार्क द्वारा 3,000 रुपए की नकद राशि से सम्मानित किया गया। निर्णायक मण्डल के रूप में इन पुरस्कारों के लिए कलाकारों का चयन कला शिविर में आए वरिष्ठ कलाकार अमिताभ दास व हेमराज ने किया।
छात्र कला प्रतियोगिता के विजेता
ऑन द स्पॉट हुई युवा छात्र कला प्रतियोगिता में पांच कलाकारों को अकादमी द्वारा विजेता के रूप में पुरस्कृत किया गया। इनमें से प्रथम पुरस्कार दिव्या निर्मल को 5,000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार संदीप मेघवाल को 3,000 रुपए तथा तृतीय पुरस्कार मुकेश कुमार यार्मा को 2,000 रुपए प्रदान किए गए। इसके साथ सांत्वना पंरस्कार के रूप में एक-एक हजार रुपए की राशि राजेश कुमार व चन्द्रिका परमार को प्रदान किए गए।
प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में वरिष्ठ कलाकार राम जैसवाल, अमिताभ दास व हेमराज थे।
ज्ञात हो कि अकादमी द्वारा पुरस्कार राशि पुरस्कृत कलाकारों के बैंक खाते में ऑनलाईन ट्रांसफर कर दी जाएगी।
पुरस्कृत स्टॉल्स
(छायांकन: डॉ. ललित भारतीय एवं 
 डॉ. मोहन लाल जाट) 


जाट की कृति ; व्यवस्था को
 सजीव करती संरचना
मूमल नेटवर्क,(21 November, 2016) उदयपुर। कला मेले के रंगों में आकर्षण का केन्द्र रहा, उदयपुर के युवा कलाकार डॉ. मोहन लाल जाट का इंस्टॉलेशन। इस कृति की विशेषता रही राजस्थान के ग्रामीण संस्कृति व पारिवारिक व्यवस्था को सजीव करती संरचना।
इस इंस्टॉलेशन में दो कोरे कैनवास को हाथ से बुनी डोरी से लिपटा हुआ दर्शाया गया है। इसके साथ रंग बिरंगे कपड़ों की कतरनों और लहरिया साडिय़ों को लटकाया गया है। यह रंग-बिरंगी कतरने डोरी से गुंथी हुई हैं। इन सब के मध्य में इंस्टॉलेशन का हिस्सा बना एक व्यक्ति खाट पर बैठकर 'डेराÓ के माध्यम से रस्सी बनाने का प्रदर्शन कर दर्शको को एक खास संदेश देता प्रतीत होता है। संदेश यह कि कैनवास युवा पीढ़ी है जिस पर लिपटी हुई डोरी पिता के कृतित्व व व्यक्तित्व द्वारा शिक्षा, सुरक्षा और संरक्षण का आभास दे रही है। साथ में लटकी हुई रंग-बिरंगी कतरने व लहरिया साड़ीयां मॉ सहित परिवार की सभी महिलाओं की ममता और वात्सल्य का भान करा रही है। भारतीय परिवार के ताने-बाने को सजीव करती इस कृति में मोहनलाल के पिता ने स्वयं डोरी कातते हुए इंस्टालेशन का हिस्सा बन कृति को सार्थक कर दिया।

लाइव डेमो देकर  कला की बारीकियों से परिचित कराया

मूमल नेटवर्क, (21 November, 2016) उदयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के 19वें कला मेले में जहां एक और आयोजित वर्कशॉप में वरिष्ठ अपनी कूचि का कमाल दिखा रहे थे वहीं दो युवा आर्टिस्ट ने लाइव डेमो देकर समां बांध लिया।
कला मेले के तीसरे दिन 19 नवंबर को मोलेला के युवा कलाकार दिनेश चन्द कुम्हार ने टेराकोटा की कृतियां बनाकार उपस्थित युवा कलाकारों व कला प्रेमियों को मोलेला की टेराकोटा कला की बारीकियों से परिचित कराया। उन्होने दर्शकों को प्रोत्साहित करते हुए उनसे भी रचना करवाई। स्कूली बच्चों व दर्शकों ने इसमें बहुत रुचिली।  ज्ञात हो कि दिनेश चन्द टेराकोटा के लिए देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुके पद्मश्री मोहनलाल जी के सुपुत्र हैं।
लाइव डेमों का दूसरा 20 नवंबर का दिन  वॉटर कलर को समर्पित रहा। उदयपुर के ही युवा आर्टिस्ट अनुराग मेहता ने वॉटर कलर के प्रयोग से कृति को जीवन्त कर दिया। एक ही समय में जहां वरिष्ठ राम जायसवाल ने वर्कशॉप में वॉटर कलर से अपनी कृति तैयार की वहीं अनुराग मेहता ने भी वॉटर कलर का लाइव डेमो देकर परिपक्य व युवा कूचि के तेजी से आगे बढ़ते कला चरणों को स्थापित किया।

(छायांकन: डॉ. मोहन लाल जाट )


छात्र कला प्रतियोगिता में खुलकर खिलखिलाए रंग


मूमल नेटवर्क, उदयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी आयोजित 19वें कला मेले के चौथे दिन 20 नवंबर को युवा छात्र कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ऑन द स्पॉट हुई इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय स्तर के कला विद्यार्थियों के साथ कला मेले में भाग ले रह युवा कलाकारों ने भी अपनी कला का कमाल दिखाया। इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे युवाओं का उत्साह देखते ही बनता था। कुछ ही देर में खाली ड्राईंग शीट्स पर कलाकारों की सोच के रंगों ने आकृतियों की शक्ल इख्तियार कर ली। इस प्रतियोगिता का संयोजन डॉ. मोहन लाल जाट ने किया।

आज शाम कला मेले के समापन अवसर पर सर्वश्रेष्ठ पांच कलाकारों को पुरस्कृत किया जाएगा। प्रथम तीन को फस्र्ट, सैकिण्ड व थर्ड पुरस्कार के रूप में क्रमश: 5,000 रुपए, 3,000 रुपए एवं 2,000 रुपए के नकद पुरस्कार से तथा शेष दो को सांत्वना पुरस्कार के रूप में एक-एक हजार रुपए की नकद राशि से सम्मानित किया जाएगा। (छायांकन: डॉ. मोहन लाल जाट एवं संदीप कुमार मेघवाल)


आखरी दिन दर्शक मेहरबान हुए

मूमल नेटवर्क, उदयपुर। राजीव गांधी पार्क में चल रहे 19वें कला मेले के चौथे दिन और लेक फेस्टिवल के आखरी दिन दर्शक मेहरबान हुए। लेक फेस्टिवल का समापन कला मेले में दर्शकों को ले आया। दर्शकों के आगमन से कलाकारों में मेले की शांति को लेकर छायी मायूसी काफी हद तक दूर हुई है। दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण रवीवार का दिन होना भी बताया जा रहा है। अब देखना यह है कि कल यानि सोमवार को कला मेले के अन्तिम दिन कितने दर्शक मेले में आ पाते हैं।

पहली बार प्रवेश शुल्क
राजस्थान ललित अकादमी के कला मेला इतिहास में पहला अवसर है जब दर्शकों को मेले में प्रवेश पाने के लिए शुल्क अदा करना पड़ रहा है। यह शुल्क प्रति व्यक्ति 5 रुपए है। कलाकारों का कहना है कि दर्शकों की कमी का कारण मेले में आने के लिए चुकाया जाने वाला शुल्क भी है। अकादमी द्वारा इस शुल्क की पूर्व में घोषणा नहीं की गई थी। उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी पार्क के रखरखाव की जिम्मेदारी जिला प्रशासन द्वारा निजी ठेकेदार को दी हुई है। ठेकेदार द्वारा पार्क में प्रवेश करने के लिए प्रति व्यक्ति 5 रुपए का शुल्क लिया जाता है जो कला मेला देखने आए दर्शकों से भी लिया जा रहा है। जबकि मेले के प्रतिभागियों को प्रवेश पास उपलब्ध करवाए गए हैं।
(छायांकन: डॉ. ललित भारतीय )

...और हो गया अकादमी के प्रदर्शनी वाहन का लोकार्पण

मूमल नेटवर्क, (20 November, 2016) उदयपुर।
19वें कला मेले के उद्घाटन अवसर पर आखिरकार राजस्थान ललित कला अकादमी के प्रदर्शनी वाहन का लोकार्पण हो ही गया। मेले के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर रोहित वर्मा ने प्रदर्शनी वाहन का औपचारिक उद्घाटन किया। वाहन को अकादमी की संग्रहित कृतियों से सजाया गया है।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा 2013 में  प्रदर्शनी वाहन के लिए चेसिस खरीदा था। जयपुर में मार्च 2015 में आयोजित हुए 18वें कला मेले में इस वाहन का लोकार्पण राज्य की कला व संस्कृति मंत्री कृष्ण्ेन्द्र कौर दीपा के करकमलों से होना तय हुआ था। लेकिन समय पर वाहन के तैयार नहीं होने के कारण इसका लोकार्पण नहीं हो पाया था। और अब लगभग 20 लाख की लागत से तैयार  21 माह बाद 19वें कला मेले में प्रदर्शनी वाहन का लाकार्पण हो गया।         (छायांकन: डॉ. ललित भारतीय एवं डॉ. मोहनलाल जाट)




दर्शकों के निगाहें करम का बेकरारी से इंतज़ार 
मूमल नेटवर्क (19  November, 2016) उदयपुर। लेक फेस्टिवल के अवसर पर आयोजित राजस्थान ललित कला अकादमी के 19वें कला मेले में कलाकारों की कृतियों ने अपना रंग जमा लिया है लेकिन उन्हें बेकरारी से पर्याप्त दर्शकों का इन्तजार अभी भी है।
कला मेले के उद्घाटन से लेकर अब तक दर्शकों की आमद रफतार नहीं पकड़ पाई है। आज कुछ स्कूली बच्चों के आगमन ने जरूर कुछ हद तक दर्शकों की कमी को पूरा करने का प्रयास किया। कला मेले को गुलजार करने के लिए स्थानीय कलाकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। कलाकारों की आंखों में दर्शकों की उस भीड़ की तस्वीर तैर रही है जिसके आने की उम्मीद की जा रही थी।
गिने-चुने दर्शकों की आवाजाही के साथ कल शाम मेला स्थल पर  बिजली की लुकाछिपी ने भी कलाकारों को हैरान किया। दर्शकों में अभी तक स्कृली बच्चों के साथ कलाकारों के रिश्तेदार व कुछ पर्यटक नजर आए हैं। कलाकारों व आयोजकों को आशा है कि रवीवार को सजाई गई कलाकृतियों पर दर्शकों का निगाहें करम जरूर होगा।
कला शिविर में 9 कलाकारों का जीवन्त प्रदर्शन
मूमल नेटवर्क (18 November, 2016) उदयपुर। राजीव गांधी पार्क में चल रहे 19वें कला मेले मे आयोजित कला शिविर में कलाकारों ने कैनवास पर रंग जमाने शुरु कर दिए हैं। शिविर में 9 वरिष्ठ कलाकार अपनी कला का जीवन्त प्रदर्शन कर रहे हैं। शिविर में कैनवास पर लाइफ टाईम अचीवमेंट से नवाजे गए कलाकार राम जैसवाल के परिपक्व रंग निखर कर सामने आ रहे हैं तो ललित कला अकादमी दिल्ली के राष्ट्रीय पुरस्कार से सराहे गए युवा कलाकार आकाश चोयल के नव उमंग से भरे रंग भी कमाल दिखा रहे हैं। सभी कलाकारों के कैनवास पर मचलते रंगों का संयोजन कला प्रेमियों को सहज ही आकर्षित कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में कला शिविर के लिए 10 कलाकारों  का चयन किया गया था, बाद में जलरंगों के लिए ख्यात राम जायसवाल को भी शामिल किया गया। शिविर में नौ कलाकार रंग और रेखाओं से कला शिविर को सजीव कर रहे हैं जबकि वी. नागदास तथा किशोर शिंदे शामिल नहीं हो पाए।
यह हैं कला शिविर के कलाकार
विनोद शर्मा, आकश चोयल, शाहिद परवेज़, नुपुर कुण्डु, हेमराज, ़सुधांशु सुथार, राम जैसवाल, मुकेश सालवी एवं अमिताभ दास।  (छायांकन-राजाराम व्यास)
छायांकन सहयोग डॉ. ललित भारतीय 
लाइफ ठाईम अचीवमेंट सम्मान के लिए आर.बी. गौतम का नाम 
मूमल नेटवर्क (18 November, 2016) उदयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 19वें कला मेले में लाइफ ठाईम अचीवमेंट सम्मान के लिए आर.बी. गौतम के नाम का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्ताव पर कला संस्कृति विभाग में विमर्श चल रहा है।
वरिष्ठ कलाकार आर.बी. गौतम के नाम का प्रस्ताव पूर्व में लाईफ टाईम अचीवमेंट सम्मान से नवाजे जा चुके अजमेर के राम जायसवाल एवं उदयपुर के प्रो. सुरेश शर्मा ने किया है। कला संस्कृति विभाग से प्रस्तावित नाम पर स्वीकृति की मोहर लगते ही संभवत: कला मेले के समापन अवसर पर आर.बी. गौतम को सम्मानित किया जाएगा। उल्ेखनीय है कि लाईफ टाईम अचीवमेंट सम्मान के लिए अकादमी द्वारा कलाकार को स्मृति चिंह, 31 हजार रुपए की नकद धनराशि, शॉल व श्रीफल से सम्मानित किया जाता है।

19वां कला मेला आज से

उद्घाटन शाम 4 बजे
आर्ट कैम्प में 10 वरिष्ठ कलाकार 
मूमल नेटवर्क (12 November, 2016) जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के 17 नवंबर से उदयपुर में आयोजित होने जा रहे 19वें कला मेले में आर्ट कैम्प भी लगाया जा रहा है। इस आर्ट कैम्प में 10 वरिष्ठ कलाकार रंग और रेखाओं का सजीव प्रदर्शन करेंगे।
आर्ट कैम्प के आर्टिस्ट
कला मेले के दौरान आयोजित होने वाले आर्ट कैम्प में विनोद शर्मा, आकाश चोयल, शाहिद परवेज, नुपुर कुण्डू, हेमराज, सुधांशु सुथार, वी. नागदास, मुकेश साल्वी, किशोर शिंदे तथा अमिताभ दास जैसे प्रसिद्ध कलाकार अपनी कला का सजीव प्रदर्शन करेंगे।
राजीव गांधी उद्यान में सजेगा कला मेला
मूमल नेटवर्क (12 November, 2016) जयपुर। उदयपुर के राजीव गांधी उद्यान में 17 से 21 नवंबर राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 19वें कला मेले में लगभग 60स्टॉल्स पर 80 कलाकारों की कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
अकादमी इस वर्ष 19वें कला मेले का आयोजन उदयपुर के राजीव गांधी उद्यान में उदयपुर जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित कर रही है। कला मेला इस वर्ष लेक फेस्टिवल के अवसर पर आयोजित हो रहा है जिसमें कलाप्रेमी कई नए कलाकारों के काम देख पाएंगे। कला मेले में लगभग 60 स्टॉल्स सजाई जाएंगी जिसमें लगभग 38 कलाकार अपनी कृतियों का सोलो प्रदर्शन करेंगे। कला मेले में लगभग 20 ग्रुप प्रदर्शन होंगे जिनमें 5 शैक्षक्षिक संस्थाओं के कला विद्यार्थी अपनी कलाकृतियां सजाएंगे।

कला मेला 17 नवंबर से उदयपुर में

मूमल नेटवर्क (14 October, 2016) जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के वार्षिक आयोजन कला मेले की फाइनल तारीखोंं व स्थान की घोषणा कर दी गई है।
अकादमी का 19वां कला मेला 17 से 21 नवंबर तक उदयपुर स्थित सहेलियों की बाड़ी में आयोजित किया जाएगा। कला मेले में हिस्सा लेने के इच्छुक कलाकारों के लिए आवेदन पत्र अकादमी कार्यालय में उपलब्ध हैं। भरे हुए आवेदन पत्रों को अकादमी कार्यालय में जमा करवाने की अन्तिम तारीख 3 नवंबर है। अकादमी द्वारा योग्य पाए जाने वाले आवेदकों को 8 नवंबर तक स्टॉल आवंटन की सूचना दे दी जाएगी।

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